पा-ब-जौलाँ तो हर इक शख़्स यहाँ है 'अम्बर'
तिरी ज़ंजीर ही क्यूँ शोर बपा करती है
नादिया अंबर लोधी
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पा-ब-जौलाँ तो हर इक शख़्स यहाँ है 'अम्बर'
तिरी ज़ंजीर ही क्यूँ शोर बपा करती है
नादिया अंबर लोधी