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मुज़फ़्फ़र इरज शायरी | शाही शायरी

मुज़फ़्फ़र इरज शेर

1 शेर

इस शहर का दस्तूर है रिश्तों का भुलाना
तज्दीद-ए-मरासिम के लिए हाथ न बाँधूँ

मुज़फ़्फ़र इरज