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मुनीर सैफ़ी शायरी | शाही शायरी

मुनीर सैफ़ी शेर

3 शेर

ख़ौफ़ हर घर से झाँकता होगा
शहर इक दश्त-ए-बे-सदा होगा

मुनीर सैफ़ी




कोई दो मिनट हिल गई थी ज़मीं
झुका ख़ाक पर सर मिनारों का था

मुनीर सैफ़ी




'सैफ़ी' मेरे उजले उजले कोट पर
मल गया कालक दिसम्बर देख ले

मुनीर सैफ़ी