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मोहसिन शकील शायरी | शाही शायरी

मोहसिन शकील शेर

1 शेर

हम उसे अन्फ़ुस ओ आफ़ाक़ से रखते हैं परे
शाम कोई जो तिरे ग़म से तही जाती है

मोहसिन शकील