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मोहम्मद सज्जाद मिर्ज़ा शायरी | शाही शायरी

मोहम्मद सज्जाद मिर्ज़ा शेर

1 शेर

मेरी अपनी ज़ात ही इक अंजुमन से कम न थी
इस लिए 'सज्जाद' मुझ को ख़ौफ़-ए-तन्हाई न था

मोहम्मद सज्जाद मिर्ज़ा