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मिर्ज़ा रहीमुद्दीन हया शायरी | शाही शायरी

मिर्ज़ा रहीमुद्दीन हया शेर

1 शेर

बुतों को चाह के हम तो अज़ाब ही में रहे
शब-ए-फ़िराक़ कटी रोज़-ए-इंतिज़ार आया

मिर्ज़ा रहीमुद्दीन हया