EN اردو
मेराज लखनवी शायरी | शाही शायरी

मेराज लखनवी शेर

1 शेर

फिर क्या है जो ये रात ढली जाती है आख़िर
वो वादा-फ़रामोश हो ऐसा भी नहीं है

मेराज लखनवी