राहत मैं दिल के हाथों न पाऊँगा एक-दम
जब तक कि मेरे साथ ये ख़ाना-ख़राब है
मीर मोहम्मद बाक़र हज़ीं
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राहत मैं दिल के हाथों न पाऊँगा एक-दम
जब तक कि मेरे साथ ये ख़ाना-ख़राब है
मीर मोहम्मद बाक़र हज़ीं