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मसूद अख़्तर जमाल शायरी | शाही शायरी

मसूद अख़्तर जमाल शेर

1 शेर

न वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात न वो बज़्म-ए-वफ़ा
इशरत-ए-बादा-ए-गुलफ़म किसे नज़्र करूँ

मसूद अख़्तर जमाल