न वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात न वो बज़्म-ए-वफ़ा
इशरत-ए-बादा-ए-गुलफ़म किसे नज़्र करूँ
मसूद अख़्तर जमाल
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न वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात न वो बज़्म-ए-वफ़ा
इशरत-ए-बादा-ए-गुलफ़म किसे नज़्र करूँ
मसूद अख़्तर जमाल