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माह तलअत ज़ाहिदी शायरी | शाही शायरी

माह तलअत ज़ाहिदी शेर

2 शेर

हर एक रात के पहलू से दिन निकलता है
वो लोग कैसे सँवर जाएँ जो तबाह नहीं

माह तलअत ज़ाहिदी




याद के ख़ुशनुमा जज़ीरों में
दिल की आवारगी सी रहती है

माह तलअत ज़ाहिदी