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ख़ुमार कुरैशी शायरी | शाही शायरी

ख़ुमार कुरैशी शेर

1 शेर

ज़ीस्त का इक गुनाह कर सके न हम
साँस के वास्ते भी मर सके न हम

ख़ुमार कुरैशी