शिकवा अपनों से किया जाता है ग़ैरों से नहीं
आप कह दें तो कभी आप से शिकवा न करें
ख़लिश कलकत्वी
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शिकवा अपनों से किया जाता है ग़ैरों से नहीं
आप कह दें तो कभी आप से शिकवा न करें
ख़लिश कलकत्वी