इसी मिट्टी से हसब और नसब था अपना
क्यूँ हुए शहर में आवारा बहुत मत पूछो
ख़ालिद रहीम
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इसी मिट्टी से हसब और नसब था अपना
क्यूँ हुए शहर में आवारा बहुत मत पूछो
ख़ालिद रहीम