बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थे
फिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया
ख़ालिद महमूद
टैग:
| पिता |
| 2 लाइन शायरी |
शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमी
आँखें दिखा रहा है बराबर का आदमी
ख़ालिद महमूद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |