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ख़ालिद महमूद शायरी | शाही शायरी

ख़ालिद महमूद शेर

2 शेर

बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थे
फिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया

ख़ालिद महमूद




शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमी
आँखें दिखा रहा है बराबर का आदमी

ख़ालिद महमूद