हम जहाँ रहते हैं वो दश्त वो घर
दश्त लगते हैं न घर लगते हैं
जौहर मीर
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कोई मौसम भी सज़ा-वार-ए-मोहब्बत नहीं अब
ज़र्द पत्तों को हवाओं से शिकायत नहीं अब
जौहर मीर
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