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इम्दाद आकाश शायरी | शाही शायरी

इम्दाद आकाश शेर

2 शेर

अज़ीज़ गर था तअल्लुक़ तो किस लिए तोड़ा
जब इख़्तिलाफ़ किया तो मुफ़ाहमत कैसी

इम्दाद आकाश




उस पर ही भेजता है वो आफ़त भी मौत भी
शायद उसे ग़रीब का बच्चा है ना-पसंद

इम्दाद आकाश