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इफ़्तिख़ार जमील शाहीन शायरी | शाही शायरी

इफ़्तिख़ार जमील शाहीन शेर

1 शेर

नश्तर-ए-ग़म न जिस को रास आया
ज़ीस्त उस को कभी न रास आई

इफ़्तिख़ार जमील शाहीन