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हसन रिज़वी शायरी | शाही शायरी

हसन रिज़वी शेर

5 शेर

अब उस से बढ़ के भला मो'तबर कहें किस को
ज़माना उस का है माज़ी-ओ-हाल उस के हैं

हसन रिज़वी




कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना
हमें भी है याद आज तक वो नज़र से हर्फ़-ए-सलाम लिखना

हसन रिज़वी




न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है
हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है

हसन रिज़वी




था जो एक लम्हा विसाल का वो रियाज़ था कई साल का
वही एक पल में गुज़र गया जिसे उम्र गुज़री पुकारते

हसन रिज़वी




ये उस के प्यार की बातें फ़क़त क़िस्से पुराने हैं
भला कच्चे घड़े पर कौन दरिया पार करता है

हसन रिज़वी