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हैरत सहरवर्दी शायरी | शाही शायरी

हैरत सहरवर्दी शेर

1 शेर

जो चल पड़े थे अज़्म-ए-सफ़र ले के थक गए
जो लड़खड़ा रहे थे वो मंज़िल पे आए हैं

हैरत सहरवर्दी