धरती और अम्बर पर दोनों क्या रानाई बाँट रहे थे
फूल खिला था तन्हा तन्हा चाँद उगा था तन्हा तन्हा
ग्यान चन्द
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फ़िक्र की दुनिया में कोलम्बस बना फिरता हूँ मैं
इल्म की पहनाई का कितना बड़ा फ़ैज़ान है
ग्यान चन्द
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