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गुस्ताख़ रामपुरी शायरी | शाही शायरी

गुस्ताख़ रामपुरी शेर

1 शेर

सद-साला दौर-ए-चर्ख़ था साग़र का एक दौर
निकले जो मय-कदे से तो दुनिया बदल गई

गुस्ताख़ रामपुरी