अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
गोपालदास नीरज
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
1 शेर
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
गोपालदास नीरज