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ग़ज़ाला शाहिद शायरी | शाही शायरी

ग़ज़ाला शाहिद शेर

1 शेर

मुझे उस नींद के माथे का बोसा हो इनायत
जो मुझ से ख़्वाब का आज़ार ले कर जा रही है

ग़ज़ाला शाहिद