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फ़िज़ा कौसरी शायरी | शाही शायरी

फ़िज़ा कौसरी शेर

1 शेर

तमाम जिस्म की परतें जुदा जुदा करके
जिए चले गए क़िस्तों में लोग मर मर के

फ़िज़ा कौसरी