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फ़ैज़ अनवर शायरी | शाही शायरी

फ़ैज़ अनवर शेर

1 शेर

जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे
जान बाक़ी है मगर साँस रुकी हो जैसे

फ़ैज़ अनवर