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एजाज़ अहमद एजाज़ शायरी | शाही शायरी

एजाज़ अहमद एजाज़ शेर

2 शेर

रह-ए-हयात में लाखों थे हम-सफ़र 'एजाज़'
किसी को याद रखा और किसी को भूल गए

एजाज़ अहमद एजाज़




यहाँ तो रोज़ नई आफ़तों से पाला है
'हुसैन' कितने अब आएँगे कर्बला के लिए

एजाज़ अहमद एजाज़