देखना है पिया की ज़ुल्फ़-ए-दराज़
या इलाही मुझे दे उम्र-ए-दराज़
दाऊद औरंगाबादी
दिया उस ख़ुश-नयन ने रात कूँ मुझ कूँ सुराग़ अपना
किया मैं रोग़न-ए-बादाम सूँ रौशन चराग़ अपना
दाऊद औरंगाबादी
हर किताब-ए-सोहबत-ए-रंगीं के मअ'नी देख कर
फ़र्द-ए-तन्हाई के मज़मूँ कूँ किया हूँ इंतिख़ाब
दाऊद औरंगाबादी
पिव बिना दिल मिरा उदासी है
गाह जोगी है गाह सन्यासी है
दाऊद औरंगाबादी
रक़म करने कूँ वस्फ़-ए-ज़ुल्फ़-ए-दिलदार
मुझे हर वक़्त मश्क़-ए-लाम है बस
दाऊद औरंगाबादी
सर काट क्यूँ जलाते हैं रौशन दिलाँ के तईं
आहन-दिली पे ख़ल्क़ की ख़ंदाँ हूँ मिस्ल-ए-शम्अ'
दाऊद औरंगाबादी
शीशा-ए-आबरू सँभाल ऐ दिल
दौर उल्टा चला है दुनिया का
दाऊद औरंगाबादी
सुन नसीहत मिरी ऐ ज़ाहिद-ए-ख़ुश्क
अश्क के आब बिन वुज़ू मत कर
दाऊद औरंगाबादी
तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल
कोई आब-ज़न-रफ़ीक़ ब-जुज़ चश्म-ए-तर नहीं
दाऊद औरंगाबादी