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दामोदर ठाकुर ज़की शायरी | शाही शायरी

दामोदर ठाकुर ज़की शेर

2 शेर

एक दिन नक़्श-ए-क़दम पर मिरे बन जाएगी राह
आज सहरा में तो तन्हा हूँ कहीं कोई नहीं

दामोदर ठाकुर ज़की




इश्क़ की राहों में आया है इक ऐसा भी मक़ाम
सिर्फ़ इक मैं हूँ वहाँ अहल-ए-ज़मीं कोई नहीं

दामोदर ठाकुर ज़की