इक अज़िय्यत है तो लज़्ज़त भी तिरे दर्द में है
बे-सुकूनी में भी आराम बहुत आता है
बुशरा फर्रुख
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इक अज़िय्यत है तो लज़्ज़त भी तिरे दर्द में है
बे-सुकूनी में भी आराम बहुत आता है
बुशरा फर्रुख