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बुशरा फर्रुख शायरी | शाही शायरी

बुशरा फर्रुख शेर

1 शेर

इक अज़िय्यत है तो लज़्ज़त भी तिरे दर्द में है
बे-सुकूनी में भी आराम बहुत आता है

बुशरा फर्रुख