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बशीर महताब शायरी | शाही शायरी

बशीर महताब शेर

1 शेर

देता रहा वो गालियाँ और मैं रहा ख़मोश
फिर यूँ हुआ कि वो मिरे क़दमों में गिर गया

बशीर महताब