देता रहा वो गालियाँ और मैं रहा ख़मोश
फिर यूँ हुआ कि वो मिरे क़दमों में गिर गया
बशीर महताब
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देता रहा वो गालियाँ और मैं रहा ख़मोश
फिर यूँ हुआ कि वो मिरे क़दमों में गिर गया
बशीर महताब