EN اردو
अज़हर नैयर शायरी | शाही शायरी

अज़हर नैयर शेर

5 शेर

ब-वक़्त-ए-शाम समुंदर में गिर गया सूरज
तमाम दिन की थकन से निढाल ऐसा था

अज़हर नैयर




चाहा है जिस का साया शजर वो बबूल है
क़िस्मत में मेरे आज भी सड़कों की धूल है

अज़हर नैयर




दिल ख़ाक हुआ प्यार की इस आग में जल कर
और झाँक के उस ने कभी अंदर नहीं देखा

अज़हर नैयर




थी उस की बंद मुट्ठी में चिट्ठी दबी हुई
जो शख़्स था ट्रेन के नीचे कटा हुआ

अज़हर नैयर




तुम बहर-ए-मोहब्बत के किनारे पे खड़े थे
तुम ने मिरी आँखों में समुंदर नहीं देखा

अज़हर नैयर