उतनी ही निगाहों की मिरी प्यास बढ़ी है
जितनी कि तुझे देख के तस्कीन हुई है
अशरफ़ रफ़ी
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उतनी ही निगाहों की मिरी प्यास बढ़ी है
जितनी कि तुझे देख के तस्कीन हुई है
अशरफ़ रफ़ी