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अशोक साहनी शायरी | शाही शायरी

अशोक साहनी शेर

2 शेर

तिरी सूरत से हसीं और भी मिल जाएँगे
जिस में सीरत भी तिरी हो वो कहाँ से लाऊँ

अशोक साहनी




ज़माने ने लगाईं मुझ पे लाखों बंदिशें लेकिन
सर-ए-महफ़िल मिरी नज़रों ने तुम से गुफ़्तुगू कर ली

अशोक साहनी