दिल की बस्ती में उजाला ही उजाला होता
काश तुम ने भी किसी दर्द को पाला होता
अशोक साहिल
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उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर
तहज़ीब मेहरबाँ है मिरे ख़ानदान पर
अशोक साहिल
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