बहुत ख़ामोश रह कर जो सदाएँ मुझ को देता था
बड़े सुंदर से जज़्बों की क़बाएँ मुझ को देता था
आशिर वकील राव
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बहुत ख़ामोश रह कर जो सदाएँ मुझ को देता था
बड़े सुंदर से जज़्बों की क़बाएँ मुझ को देता था
आशिर वकील राव