मुझ को जन्नत से उठा कर ये कहाँ फेंक दिया
अपने मस्कन से बहुत दूर रहूँगा कैसे
आरिफ़ अंसारी
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मुझ को जन्नत से उठा कर ये कहाँ फेंक दिया
अपने मस्कन से बहुत दूर रहूँगा कैसे
आरिफ़ अंसारी