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अनवर अलीमी शायरी | शाही शायरी

अनवर अलीमी शेर

1 शेर

कोई भी सजनी किसी भी साजन की मुंतज़िर है न मुज़्तरिब है
तमाम बाम और दर बुझे हैं कहीं भी रौशन दिया नहीं है

अनवर अलीमी