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अंजुम नियाज़ी शायरी | शाही शायरी

अंजुम नियाज़ी शेर

1 शेर

मैं हर दीवार के दोनों तरफ़ यूँ देख लेता हूँ
मिरा ही दूसरा हिस्सा पस-ए-दीवार हो जैसे

अंजुम नियाज़ी