रंगों से न रखिए किसी सूरत की तवक़्क़ो
वो ख़ून का क़तरा है जो शहकार बनेगा
अली मुतहर अशअर
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रंगों से न रखिए किसी सूरत की तवक़्क़ो
वो ख़ून का क़तरा है जो शहकार बनेगा
अली मुतहर अशअर