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अख़्तर शेख़ शायरी | शाही शायरी

अख़्तर शेख़ शेर

1 शेर

लफ़्ज़ लिखना है तो फिर काग़ज़ की निय्यत से न डर
इस क़दर इज़हार की बे-मानविय्यत से न डर

अख़्तर शेख़