आसाँ नहीं इंसाफ़ की ज़ंजीर हिलाना
दुनिया को जहाँगीर का दरबार न समझो
अख़तर बस्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआ
साया तो अब भी सेहन के कोहना शजर में है
अख़तर बस्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कीजिए किस किस से आख़िर ना-शनासी का गिला
जब किसी ने भी निगाह-ए-मो'तबर डाली नहीं
अख़तर बस्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |