करे वो रात की मानिंद दाग़ दाग़ मुझे
मैं रंग रंग करूँगा उसे सहर की तरह
अकबर काज़मी
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करे वो रात की मानिंद दाग़ दाग़ मुझे
मैं रंग रंग करूँगा उसे सहर की तरह
अकबर काज़मी