EN اردو
अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी शायरी | शाही शायरी

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी शेर

1 शेर

गुलचीं बहार-ए-गुल में न कर मन-ए-सैर-ए-बाग़
क्या हम ग़ुबार दामन-ए-बाद-ए-सबा के हैं

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी