हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली
बाशिंदा है शायद किसी दुनिया-ए-दिगर का
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
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हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली
बाशिंदा है शायद किसी दुनिया-ए-दिगर का
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद