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ज़िंदगी | शाही शायरी
zindagi

नज़्म

ज़िंदगी

अमजद नजमी

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दुनिया में तुझ को है अगर अरमान-ए-ज़िंदगी
तदबीर से तू बाँध ले पैमान-ए-ज़िंदगी

ताब-ओ-तब-ए-अमल ख़लिश-ए-कोशिश-ए-दवाम
उन से बहम पहुँचता है सामान-ए-ज़िंदगी

कर ले रफ़ू तू जोशिश-ए-किरदार से इसे
क्यूँ कर रहा है चाक गरेबान-ए-ज़िंदगी

जिस ज़िंदगी में जोश-ए-ख़ुदी का न हो ख़याल
वो ज़िंदगी नहीं कभी शायान-ए-ज़िंदगी

कर नूह बन के उस का तो हर-दम मुक़ाबला
तूफ़ान-ए-ज़िंदगी है ये तूफ़ान-ए-ज़िंदगी

महदूद तू समझने लगा है इसे मगर
बे-इंतिहा वसीअ' है मैदान-ए-ज़िंदगी