रात इक लड़खड़ाते झोंके से
ना-गहाँ संग-ए-सुर्ख़ की सिल पर
आइना गिर के पाश पाश हुआ
और नन्ही नुकीली किरचों की
एक बोछाड़ दिल को चीर गई
नज़्म
याद
शकेब जलाली
नज़्म
शकेब जलाली
रात इक लड़खड़ाते झोंके से
ना-गहाँ संग-ए-सुर्ख़ की सिल पर
आइना गिर के पाश पाश हुआ
और नन्ही नुकीली किरचों की
एक बोछाड़ दिल को चीर गई