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याद | शाही शायरी
yaad

नज़्म

याद

शकेब जलाली

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रात इक लड़खड़ाते झोंके से
ना-गहाँ संग-ए-सुर्ख़ की सिल पर

आइना गिर के पाश पाश हुआ
और नन्ही नुकीली किरचों की

एक बोछाड़ दिल को चीर गई