नर्म रेशम की तरह बनी ख़ामुशी
जा-ब-जा फिर मसकने लगी
जिस्म के आशियानों से ताइर उड़े
गर्म ताज़ा लहू में नहा कर परों को झटकने लगे
देर तक रंग उड़ता रहा
नज़्म
याद
क़ाज़ी सलीम
नज़्म
क़ाज़ी सलीम
नर्म रेशम की तरह बनी ख़ामुशी
जा-ब-जा फिर मसकने लगी
जिस्म के आशियानों से ताइर उड़े
गर्म ताज़ा लहू में नहा कर परों को झटकने लगे
देर तक रंग उड़ता रहा