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वाहिमा | शाही शायरी
wahima

नज़्म

वाहिमा

परवीन शाकिर

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तुम्हारा कहना है
तुम मुझे बे-पनाह शिद्दत से चाहते हो

तुम्हारी चाहत
विसाल की आख़िरी हदों तक

मिरे फ़क़त मेरे नाम होगी
मुझे यक़ीं है मुझे यक़ीं है

मगर क़सम खाने वाले लड़के!
तुम्हारी आँखों में एक तिल है!