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उम्मीद | शाही शायरी
ummid

नज़्म

उम्मीद

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

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तुम्हारे मन के आँगन में
खिज़ाएँ आ भी जाएँ तो

कभी वीरान मत होना
ये क़ुदरत का क़रीना है

बहारें आने से पहले
ख़िज़ाँ आना ज़रूरी है