तुम्हारे मन के आँगन में
खिज़ाएँ आ भी जाएँ तो
कभी वीरान मत होना
ये क़ुदरत का क़रीना है
बहारें आने से पहले
ख़िज़ाँ आना ज़रूरी है
नज़्म
उम्मीद
उरूज ज़ेहरा ज़ैदी
नज़्म
उरूज ज़ेहरा ज़ैदी
तुम्हारे मन के आँगन में
खिज़ाएँ आ भी जाएँ तो
कभी वीरान मत होना
ये क़ुदरत का क़रीना है
बहारें आने से पहले
ख़िज़ाँ आना ज़रूरी है