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तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा | शाही शायरी
tu hindu banega na musalman banega

नज़्म

तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा

साहिर लुधियानवी

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तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा

अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझ को किसी मज़हब से कोई काम नहीं है

जिस इल्म ने इंसानों को तक़्सीम किया है
इस इल्म का तुझ पर कोई इल्ज़ाम नहीं है

तू बदले हुए वक़्त की पहचान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा

मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया
हम ने इसे हिन्दू या मुसलमान बनाया

क़ुदरत ने तो बख़्शी थी हमें एक ही धरती
हम ने कहीं भारत कहीं ईरान बनाया

जो तोड़ दे हर बंद वो तूफ़ान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा

नफ़रत जो सिखाए वो धरम तेरा नहीं है
इंसाँ को जो रौंदे वो क़दम तेरा नहीं है

क़ुरआन न हो जिस में वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिस में वो हरम तेरा नहीं है

तू अम्न का और सुल्ह का अरमान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा